कुण्डलियाँ
कँउवा कहिथे काँव ले,सुनथे वोला कोन।
सबके पीरा वो हरय,मीठा बोलय जोन।
मीठा बोलय जोन,मान गा जग मा पावय।
देवय सब आशीष,मया अब्बड़ बगरावय।
बोलय गड़बड़ बोल,मार के आवय पउवा।
कलयुग के हे मार,काँव ले कहिथे कँउवा।
राहँन हम मिलजुल के,सबके देवँन साथ।
एक डोर ले हम बँधन,एक हाथ ले हाथ।
एक हाथ ले हाथ,एकता हावय सानी।
बनबो सब चट्टान,आय गा कतको पानी।
बढ़िहा सिरज समाज,संग मा मिलके काहँन।
बगरे जग मा मान,फूल कस सब कोई राहँन।
तोषण चुरेन्द्र 'दिनकर'
धनगांव डौंडी लोहारा