कस
रे करिया
बादर, तोला का
होगे हे
चुहय
के, कोनों बेरा
नी जानस।
का
हम तोर
बइरी बनगे हावन
अपन घलो नइ मानस।
जब
चुहना रीहीस
त मुहुं लुकाथस
होय धान मा अंगरा
बरसाके
तंय गरीबहा
ला लुलवाथस
खेती
खार कछार
भुंइया नरवा ढोरगा
तोर मारे थर खावथे
दिन
गोरसी भरे के
हाड़ा गोड़ा जुड़ावथे
थाम ले
बादर तोर चाल ल
दे ध्यान थोरिक हमर
हाल मा....
तोषण चुरेन्द्र
धनगांव