एक बार फिर कोरोना से जंग है।
फीका- फीका फागुन का रंग है।
लगा भारत पर प्रतिबंध देखिये,
कोई मित्र नहीं किसी के संग है।
न ही कोई शोर शराबा नगर में,
न शराब पीये न ही कोई भंग है।
बरस बीता एक कोरोना कहर में,
फिर भी देखो अंतर्मन में उमंग है।
अमन व सौहार्दभाव से मिलिये,
मिलकर मनाये होली सतरंग है।
देवें परिचय एक्य सूत्र 'तोषण'
सतत जन-जन जीवन उमंग है।
तोषण चुरेन्द्र दिनकर
धनगाँव डौंडीलोहारा