दिनांक १६-०१-२२ रविवार
घनाक्षरी छंद विषय सूर्य/ सूरज
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घन रात तम छाये,सोचे मन भानू आये।
रूत है शरद थोड़ी आग तो जलाइये।
सबेरे किरण आती रजनी है घर जाती।
तन मन तरोताजा सब ही बनाइये।
दिक दिनकर दिखे,बगिया सुमन खिले।
मन को प्रसन्न कर भौरा बन जाइये।
आदि देव सूर्य देव,निरोग की काया करो।
स्वस्थ रहे जग सारा,नेह बरसाइये।
तोषण चुरेन्द्र 'दिनकर'
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